दिल्ली और धुंध
कुछ दिनो से धुंध ने
दिल्ली मे डेरा
जमाया हुआ है
, अजीब सी धुँए
की परत ने
दिल्ली को मानो
किसी चाँदी जैसी
बदली ने अपने
आगोश मे ले
लिया हो , सरकार
को जितनी चिंता
इस सफेद चादर
पे है उतनी
चिंता तो एड्स
और डेंगू जसी
गंभीर बीमारी पे
भी नही , इस
विषय मे देश
के जाने माने
बुद्धिजीवियों और महानुभावों
की बैठक
हुई , बैठक मे
मैने भी हिस्सा
लिया , सुनिए क्या कहना
है हमारा इस
बारे मे :-
1.एक महानुभाव का कहना
था की दिली
मे डिज़ल की
गाड़ियाँ ज़्यादा हो गई
जिसके धुएँ की
वजह से धुंध
छा जाती है
, मैने कहा गाड़ियाँ
तो दिल्ली मे
पहले भी बहुत
थी , ये पहले
क्यों नही हुई
? और तकरीबन डिज़ल
की गाड़ियाँ तो
सरकार की ही
हैं एम्बेसडर गाड़ी
सरकार ही प्रयोग
मे लाती है
, तो क्या अब
सरकार गाड़ी की
बज़ाए सीधा हेलिकॉप्टर
का प्रयोग करेगी?
2.दूसरे महानुभाव का अजीब
ही तर्क था
, उनका कहना था
की ये जन
सेट का धुँआ
है , देल्ही मे
जन सेट बड़े
पैमाने पे चलाए
जाते हैं जिनके
धुएँ से ये
सब हो रहा
है , मैने कहा
, महोदय , क्या दिल्ली
मे बिजली की
आपूर्ति सही तरीके
से नही होती
जो जान सेट
चलाए जाते है
, या बिजली के
दाम महनगे होने
के कारण चोरी
के तेल से
जन सेट चलाना
मजबूरी है ?
3. तीसरे महानुभाव का कहना
था की लोग
जब सांस लेते
हैं तो कार्बन
छोड़ते हैं , और उसकी
वजह से बड़ी
मात्रा मे कार्बन
इकट्ठी होकर कोहरे
की शक्ल ले
लेती है , मैने
कहा फिर सरकार
इनकी सांस ही
क्यों नही बंद
कर देती ? ना
रहेगा बाँस ना
बज़ेगी बाँसुरी
4.चौथे महानुभाव का कहना
था की त्यौहारों
मे , बजने वाले
पटाखे इसके लिए
ज़िम्मेदार हैं , मैने कहा
लोग चिल्लाते हैं
की खाने के
लिए रोटी नही
है , और लाखों
के पटाखे बज़ा
जाते हैं , ये
पटाखे भी ज़रूर
भ्रष्टाचार के पैसे
से खरीदे होंगे
, ज़रूर इसकी एक
जाँच होनी चाहिए
,
5. पाँचवे महानुभाव
ने कहा दिल्ली
मे धुँआ पाकिस्तान
की देन हो
सकता है , याद
है पिछली बार
वो हमारी संसद
तक पहुँच गया
था , मैने कहा
यार हर मामले
मे विदेशी हाथ
खींचना ठीक नही
है , उसके यहाँ
तो आजकल धुंध
की नही , अंधेरे
जैसी स्थिति है
, सूरज निकलता ही नही
, वो क्या धुँआ
भेजेगा ?
6.. छठे महाशय ने कहा
की दिल्ली मे
देहाती लोग बहुत
ज़्यादा हैं , और वो
गॅस की बज़ाए
चूल्हा ज़्यादा जलाते हैं
, उस चूल्हे
के धुएँ से
ये सब हो
रहा है , मैने
कहा ज़रूर इस
बारे मे सरकार
को कदम उठाना
चाहिए और देहातियों
के चूल्हे
ठंडे करवा देने
चाहिए , इतनी महनगाई
बढ़ा दो की
चूल्हे पे
चढ़ाने के लिए
पानी भी ना
बचे , ना रहेगा
बाँस ना बज़ेगी
बाँसुरी
7. सांतवे महाशय
ने कहा की
मुझे तो ज़रूर
ये भगवान की
साज़िश लगती है
, चलो उन्ही से
पूछते हैं , और
हम भगवान से
पूछने निकल पड़े
भगवान ने कहा
मूर्ख बच्चो तुम्हे
इतना भी नही
पता ये घोटालों
की धुंध है
, जीतने ज़्यादा घोटाले करोगे
उतनी ही धुंध
बढ़ती जाएगी
मैने कहा महाराज
, धुंध और घोटाले
, बात कुछ गले
नही उतरी , थोड़ा
खुल के समझाइये
और इस नादान
प्राणी का कुछ
ज्ञान बढ़ाइए
भगवान ने कहा
सुनो भक्तो,
मैं तफ़सील से
बताता हूँ :-
1. घोटाले के पैसे
से अवैध रूप
से दिल्ली की
आजू बाजू की
ज़मीन हथिया कर
, सारे पेड़ काट
दिए और बड़े
बड़े कंक्रीट के
महल खड़े कर
दिए
२. सबसे बड़ा
घोटाला वोट बॅंक
का है , वोट
बॅंक की वजह
से दिल्ली मे
बाहरी लोगो की
आबादी बढ़ती ही
जा रही है
,
3. भगवान ने तीसरी
बड़ी ग़ूढ बात
बताई की ये
घोटाले के पापियों
के लिए सज़ा
का एक संकेत
है , मैने कहा
भगवान जिन्होने घोटाले
नही किए वो
भी तो इसका
खामियाज़ा भुगतते हैं , भगवान
ने कहा बच्चे
ये रीत हमेशा
चली आई है
की गेहूँ के
साथ घुन हमेशा
पिसता आया है
अब भगवान भी धुएँ
से अपनी नाक-भों सिकोड़ने
लगे थे , धुआँ
उनकी नाक तक
आ गया था
, वो जल्दी ही
वैकुंठ प्रवेश कर गये
सार ==== सब दुख
दर्दो की जड़
घोटाले ही होते
हैं
सक़लन दवारा
कड़वा सच
जय हिंद
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