Thursday, 22 November 2012

दिल्ली और धुंध



दिल्ली और धुंध
कुछ दिनो से धुंध ने दिल्ली मे डेरा जमाया हुआ है , अजीब सी धुँए की परत ने दिल्ली को मानो किसी चाँदी जैसी बदली ने अपने आगोश मे ले लिया हो , सरकार को जितनी चिंता इस सफेद चादर पे है उतनी चिंता तो एड्स और डेंगू जसी गंभीर बीमारी पे भी नही , इस विषय मे देश के जाने माने बुद्धिजीवियों और महानुभावों की  बैठक हुई , बैठक मे मैने भी हिस्सा लिया , सुनिए क्या कहना है हमारा इस बारे मे :-
1.एक महानुभाव का कहना था की दिली मे डिज़ल की गाड़ियाँ ज़्यादा हो गई जिसके धुएँ की वजह से धुंध छा जाती है , मैने कहा गाड़ियाँ तो दिल्ली मे पहले भी बहुत थी , ये पहले क्यों नही हुई ? और तकरीबन डिज़ल की गाड़ियाँ तो सरकार की ही हैं एम्बेसडर गाड़ी सरकार ही प्रयोग मे लाती है , तो क्या अब सरकार गाड़ी की बज़ाए सीधा हेलिकॉप्टर का प्रयोग करेगी?
2.दूसरे महानुभाव का अजीब ही तर्क था , उनका कहना था की ये जन सेट का धुँआ है , देल्ही मे जन सेट बड़े पैमाने पे चलाए जाते हैं जिनके धुएँ से ये सब हो रहा है , मैने कहा , महोदय , क्या दिल्ली मे बिजली की आपूर्ति सही तरीके से नही होती जो जान सेट चलाए जाते है , या बिजली के दाम महनगे होने के कारण चोरी के तेल से जन सेट चलाना मजबूरी है ?
3. तीसरे महानुभाव का कहना था की लोग जब सांस लेते हैं तो कार्बन छोड़ते हैं , और उसकी वजह से बड़ी मात्रा मे कार्बन इकट्ठी होकर कोहरे की शक्ल ले लेती है , मैने कहा फिर सरकार इनकी सांस ही क्यों नही बंद कर देती ? ना रहेगा बाँस ना बज़ेगी बाँसुरी
4.चौथे महानुभाव का कहना था की त्यौहारों मे , बजने वाले पटाखे इसके लिए ज़िम्मेदार हैं , मैने कहा लोग चिल्लाते हैं की खाने के लिए रोटी नही है , और लाखों के पटाखे बज़ा जाते हैं , ये पटाखे भी ज़रूर भ्रष्टाचार के पैसे से खरीदे होंगे , ज़रूर इसकी एक जाँच होनी चाहिए ,
5. पाँचवे महानुभाव ने कहा दिल्ली मे धुँआ पाकिस्तान की देन हो सकता है , याद है पिछली बार वो हमारी संसद तक पहुँच गया था , मैने कहा यार हर मामले मे विदेशी हाथ खींचना ठीक नही है , उसके यहाँ तो आजकल धुंध की नही , अंधेरे जैसी स्थिति है , सूरज निकलता ही नही , वो क्या धुँआ भेजेगा ?
6.. छठे महाशय ने कहा की दिल्ली मे देहाती लोग बहुत ज़्यादा हैं , और वो गॅस की बज़ाए चूल्हा ज़्यादा जलाते हैं , उस चूल्हे के धुएँ से ये सब हो रहा है , मैने कहा ज़रूर इस बारे मे सरकार को कदम उठाना चाहिए और देहातियों के चूल्हे ठंडे करवा देने चाहिए , इतनी महनगाई बढ़ा दो की चूल्हे पे चढ़ाने के लिए पानी भी ना बचे , ना रहेगा बाँस ना बज़ेगी बाँसुरी
7. सांतवे महाशय ने कहा की मुझे तो ज़रूर ये भगवान की साज़िश लगती है , चलो उन्ही से पूछते हैं , और हम भगवान से पूछने निकल पड़े

भगवान ने कहा मूर्ख बच्चो तुम्हे इतना भी नही पता ये घोटालों की धुंध है , जीतने ज़्यादा घोटाले करोगे उतनी ही धुंध बढ़ती जाएगी
मैने कहा महाराज , धुंध और घोटाले , बात कुछ गले नही उतरी , थोड़ा खुल के समझाइये और इस नादान प्राणी का कुछ ज्ञान बढ़ाइए
भगवान ने कहा सुनो  भक्तो, मैं तफ़सील से बताता हूँ :-
1. घोटाले के पैसे से अवैध रूप से दिल्ली की आजू बाजू की ज़मीन हथिया कर , सारे पेड़ काट दिए और बड़े बड़े कंक्रीट के महल खड़े कर दिए
. सबसे बड़ा घोटाला वोट बॅंक का है , वोट बॅंक की वजह से दिल्ली मे बाहरी लोगो की आबादी बढ़ती ही जा रही है ,
3. भगवान ने तीसरी बड़ी ग़ूढ बात बताई की ये घोटाले के पापियों के लिए सज़ा का एक संकेत है , मैने कहा भगवान जिन्होने घोटाले नही किए वो भी तो इसका खामियाज़ा भुगतते हैं , भगवान ने कहा बच्चे ये रीत हमेशा चली आई है की गेहूँ के साथ घुन हमेशा पिसता आया है
अब भगवान भी धुएँ से अपनी नाक-भों सिकोड़ने लगे थे , धुआँ उनकी नाक तक गया था , वो जल्दी ही वैकुंठ प्रवेश कर गये
सार ==== सब दुख दर्दो की जड़ घोटाले ही होते हैं
सक़लन  दवारा कड़वा  सच
जय हिंद

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