Thursday, 22 November 2012

महनगाई और नारद मुनि



महनगाई और नारद मुनि
पाठको आपको तो मालूम होगा की नारद पुराने ज़माने मे मीडिया का रोल निभाता था , बस उनका काम ख़बरे इधर से उधर पहुँचना होता था , पर कुछ लोग उसे चुगलिखोर के नाम से भी पुकारते हैं , और कुछ लोग आग लगाने वाला भी कहते  थे ,नारद को ज़िम्मेवारी नारायण ने दी थी , वो ख़बरे बेचते नही थे , आज के मीडिया की तरह , आज का मीडिया तो ख़बरे बनाता ही है बेचने के लिए , बिक गई तो बिक गई , नही तो दिखा कर इतनी रेटिंग बढ़ा लेंगे की कम से कम एड का अंबार लग जाए , चलिए जाने दीजिए , ये हमारा विषय नही , हमारा विषय तो है महनगाई है , और हम एक राजनैतिक दल तो हैं नही की आपके मूल मुद्दे से भटका कर , इधर-उधर की हाँकते फिरे
कभी कभी नारायण अपने भक्तों की चीख पुकार सुन लेते हैं , भारत देश मे , महनगाई से त्राहि त्राहि चिल्ला रहे लोगों की आवाज़ उनके कानो मे भी पड़ी , असलियत जाननी चाही और नारद को बुला कर सख़्त आदेश दिए की बच्चा अभी की अभी भारत देश मे जाओ , और क्या माज़रा है पता लगाओ
नारद ने कहा , भगवन आप तो पूरा लेखा जोखा लिखते हैं , धर्म ,पाप सब लिखते हैं अपने खाते चेक कर लें की कहाँ क्या गड़बड़ झाला है , नारायण ने मुस्करा कर कहा , हे वत्स , आजकल मानव इतना चालाक हो गया है की मेरी भी पकड़ मे नही आता , नारद तुम फोरैन से पेश्तर जाओ , और पूरी खबरें ले कर आओ , नारद ने कहा जो आज्या भगवन , अपनी वीना उठाई , और धरती पर भारत देश की तरफ़ प्रस्थान कर गये
नारद मुनि ने पहला कदम भारत की राजधानी दिल्ली मे रखा , आसमान छुति इमारतें , भीड़ ही भीड़ पैर रखने की जगह नही , आदमी को आदमी से कोई लेना देना नही , भाग दौड़ और धक्का मुक्की , एक जगह नारद ने देखा कुछ लोग आम आदमी की टोपी पहने नारे लगा रहे थे , भ्रष्टाचारी मुर्दाबाद , भीड़ के रैले के पास कुछ लाठियों वाले पोलीस के जवान भी मुश्तैदी से तैनात थे, आख़िर अब नारद को एक खबरी भी चाहिए था जो उसकी इस कम मे मदद कर सके , सो उन्होने एक राजनैतिक दल के एक कार्यकर्ता को सबसे अच्छा उम्मीदवार माना , उन्होने उसको बुलाया और कहा की मुझे आपकी मदद चाहिए,
कार्यकर्ता ने कहा की , मदद तो मैं कर दूँगा ,इसके बदले मुझे क्या मिलेगा , नारद ने कहा , बच्चा ये चमत्कारी वीना तुझे भेंट कर दूँगा , और कुछ तो हैं नही मेरे पास , कार्यकर्ता ने ज़ोर का ठहाका लगाया , महाराज , आप भी , कितना अच्छा मज़ाक कर लेते हो , भारत मे तो ये यंत्र , भीख माँगने का एक साधन है , कुछ लोग गा बज़ा कर भीख माँग कर गुज़ारा करते हैं नारद ने कहा , ठीक है , बच्चा , मैं नारायण का संवाददाता हूँ , नारायण से तुम्हारी सिफारिस करूँगा की तुम्हे मंत्री बनवा दे , मंत्री पद का लालच किसे नही , कार्यकर्ता तुरंत तैयार हो गया
नारद ने बातों का सिलसिला आगे बढ़ाया और और कार्यकर्ता से उसका नाम पूछा , मुझे आप दल्लु , दल्ला, कुच्छ भी कह सकते हैं , मेरा नाम दल वीर है , नारद ने पूछा , दल्लु ये बताओ , ये महनगाई वास्तव मे है या लोगों को चिल्लाने की आदत हो गई है? और इसका कोई मूल कारण कुछ तो होगा ?
कार्यकर्ता ने कहा , मुनिवर मेरे साथ चलो , जो दिखाता हूँ देखते जाना , और लिखते जाना , नारद जी ने अपनी पेन डायरी संभाली , पूरा भ्रमण करने के बाद , नारद ने जो बिंदु लिखे हम वो ज्यों के त्यों यहाँ प्रस्तुत कर रहे हैं आप भी पढ़ कर ज़रूर गौर करें :-
1. कुछ चुनिंदा लोगों ने , सरकारी  और सार्वजनिक नाम पे किसानो की तकरीबन ज़मीन हथिया ली है, जिससे उपजाऊ ज़मीन पे होने वाली फसलें कम हो गई , और इससे अनाज और सब्जियों के उत्पादन पर गहरा असर पड़ा , माँग बढ़ेगी और उत्पादन कम होगा तो महनगाई बढ़ेगी , वो ही ज़मीन फिर महनगे दामो पे  बड़े बड़े बील्डर को बेच दी जाती है , और वो बिल्डर इस पे फ्लॅट्स बना कर , औने पौने दामो पे जनता को बेच देते हैं , इसमे सरकार बीचोलिए का काम करती है और जो भी पैसा घुस के तौर पे मिलता है , उससे बहुत से लोग माला माल हो जाते हैं
2. अज़ब ग़ज़ब सरकारी नीति से महनगाई आसमान छू जाती है , ये सरकार हमारी पैदा होने वाली चीज़ों का विदेशों मे सस्ते रेट पर निर्यात करती है फिर उसी चीज़ को वापस महनगे रेट पे आयात करती है , इससे दो गुना नुकसान होता है , और विदेशी फ़ायदा उठाते हैं , इसमे भी बेचने और खरीदने मे सरकार को कमिशन मिलता है , जिससे सिर्फ़ कुछ लोग माला माल हो जाते हैं
3. कुछ रसुख वाले लोग फर्जी कंपनीज बनाकर काले धन को सफेद कर लेते हैं , और उनकी इन कंपनीज को बड़े बड़े ठेके  दे दिए जाते हैं ,इनको सारी सरकारी सुविधाएँ कम दाम पे मुहैया करवाई जाती है  इससे देश का वितीय घाटा बढ़ता जाता है और महनगाई बढ़ती जाती है
4. देश के सरकारी गोदामो मे पड़ा अनाज सड़ जाता है , उस अनाज को भूमि मे दबा दिया जाता है , जिससे काफ़ी अनाज बर्बाद होने के कारण अनाज की कमी हो जाती है , और महनगाई बढ़ जाती है
5.बड़े बड़े घोटाले और भ्रष्टाचार , महनगाई का एक बड़ा कारण है , जिससे सारा पैसा विदेशी बॅंको मे काले धन के रूप मे चला जाता है और अर्थ व्यवस्था को ज़बरदस्त नुकसान होता है , इससे पैसे की ताक़त सिर्फ़ कुछ लोगों के हाथों मे रहती है और ग़रीब और ग़रीब हो जाता है ,
6. देश मे बड़े पैमाने पे क़ाला बाज़ारी होती है , कुछ रसुख वाले लोग , ज़रूरी चीज़ों को जमा कर लेते हैं और ज़बरदस्ती उनके रेट बढ़ाकर बेच देते हैं , ज़रूरी चीज़ें खरीदना आम आदमी की मज़बूरी है , ये भी एक मुख्य वज़ह है महनगाई बढ़ाने मे
7. पेट्रोलियम पदार्थों के दाम अनाप सनाप बढ़ा दिए गये , जिससे सारा बुनियादी ढाँचा चलता है , दुनिया भर के टॅक्स लगा कर इनके रेट आसमान छुआ दिए जाते हैं , जिससे बाकी चीज़ें अपने आप महनगी हो जाती है , फिर भी पेट्रोलियम कंपनीज का घाटा पूरा होने मे नही आता , क्यों की प्रबंधन मे मोटी मोटी तनख़ाह वेल लोग बैठे हैं जो खुर्च खुर्च कर देश को खा रहे हैं
8. बड़े बड़े उधोग पतियों ने देश की सारी अर्थ व्यवस्था अपने कब्ज़े मे ले ली , सरकार उनके लिए दुकान है , वो अपनी मर्ज़ी से चीज़ों को महनगा करते जा रहे हैं ताकि उनका मुनाफ़ा बढ़ता जाए
9. देश मे विकास के नाम पे बहुत से प्रोग्राम चलाए जाते है , लेकिन उनका कोई फ़ायदा जनता तक नही पहुँचता , और इसमे ज़बरदस्त घपले किए जाते हैं , जिससे ग़रीब आदमी को सस्ती चीज़ें नही मिलती और वो महनगी चीज़ें खरीदने पे मजबूर होता है , जैसे राशन का अनाज ,
10. कुछ बुनियादी चीज़ें , प्राइवेट कंपनीज़ के हाथों मे हैं जिससे वो मनचाहा दाम बढ़ाकर ग़रीब जनता को लूट रही हैं , जैसे दिल्ली मे बिजली , मोबाइल फ़ोन आदि आदि , इनसे उन कंपनीज को ज़बरदस्त मुनाफ़ा होता है
प्यारे पाठको नारद  जी दल्लु को मंत्री बनवाने का भरोसा देकर , अपनी डायरी और वीना लेकर नारायण के पास कुच कर गये , नारायण ने बड़ी दिलचस्पी से डायरी पढ़ी और नारद से कहा , मुनिवर हमने कुछ अन्ना और केजरीवाल जैसे लोगों को इससे पार पाने के लिए लगाया हुआ है , पर कुछ ढीठ मंत्री उनके भी काबू नही आ रहे है , अब मैं तो इतना कर सकता हूँ की जनता का हृदय परिवर्तन कर दूं और वो कम से कम अगले चुनाव मे ऐसे लोगों को चुने जो भ्रष्टाचार ना करें , इतना कहकर नारद अपने रास्ते और नारायण अपने रास्ते चले गये
सार-----पाठको आपको सोचना है की वोट किसे देना है
संकलन द्वारा कड़वा सच ,
जय हिंद

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